Do Bigha Zamin Ki Keemat Tum Kya Jano!: Cinema Aur Kisan (Hindi Edition)
Chhabra, Veer Vinod & Govil, Prabodh Kumar & Parakh, Javrimall & Brahmatmaj, Ajay & Kumar, Arvind & Shrivastava, Sanjeev
किसानों के खेत-खलिहान और पगडंडियों से निकला हिन्दी सिनेमा शहरों, महानगरों से होता हुआ सात समंदर पार पहुंच गया। यह हिन्दी सिनेमा का अभूतपूर्व विकास था। लेकिन बाजारीकरण के गुलाम होते सिनेमा में खेत-खलिहान और किसानों के लिए अब कोई जगह नहीं बची। ‘सिनेमा और किसान’ की यह श्रृंखला फिल्मवालों की उनकी विरासत की याद दिलाने की मुहिम है। पहले भाग में अरविंद कुमार, अजय ब्रह्मात्मज, जवरीमल्ल पारख, प्रबोधकुमार गोविल, वीर विनोद छाबड़ा और संजीव श्रीवास्तव के कुछ प्रमुख फिल्मों पर लेख शामिल हैं। ये लेख गंभीर सवाल उठाते हैं और आज के फिल्मवालों को नई राह दिखाते हैं। हिन्दी के कुछ और वरिष्ठ फिल्म समीक्षकों के लेखों के साथ इस श्रृंखला का दूसरा भाग भी जल्द प्रकाशित होगा।